सर्दियों में हीटर ! समझ लें यह जरूरी बातें, कहीं देर न हो जाय

जाड़ों में हीटर का साथ मिल जाए तो ऐसा महसूस होता है जैसे दुनिया भर की सारी सुविधाएं मिल गई हों।


 पर साथ में दो चिंताएं भी रहती हैं। पहली बिजली खपत की और दूसरी हीटर से होने वाले शारीरिक नुकसान की।

 शारीरिक नुकसान की चिंता ज्यादा बड़ी मानी जा सकती है, क्योंकि हीटर शरीर से नमी सोखने का काम करते हैं, जो आगे चल कर काफी नुकसानदायक हो सकता है। यह शरीर में ऑक्सिजन भी घटाते हैं। इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में बता रही हैं चयनिका निगम

चिमनी वाले हीटर अच्छे, पर महंगे

वेंटफ्री इलेक्ट्रिक हीटर सेहत के लिए उतने नुकसानदायक नहीं होते हैं। वजह होती है, इनकी चिमनी, जिनसे वेंटिलेशन अच्छा रहता है। और हीटर से निकलने वाली खतरनाक गैसें जैसे कार्बन मोनो-ऑक्साइड कमरे से बाहर निकल जाती है। पर ये औरों की तुलना में महंगे होते हैं, इसलिए ज्यादातर लोग इनको नहीं खरीदते। 

जबकि अनवेंटेड इलेक्ट्रिक हीटर का चुनाव ज्यादातर लोग करते हैं, जिनसे बुरे तत्व बाहर नहीं निकल पाते और तमाम तरह की हानिकारक गैसें कमरे में ही रहकर सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं।

हीटर से गर्मी ही नहीं, मिलती हैं झुर्रियां भी
हीटर जाड़े में राहत पहुंचाने का काम भले ही करते हों, पर ये त्वचा के लिए नुकसानदायक भी होते हैं। इनके ज्यादा प्रयोग से त्वचा रूखी हो जाती है। ये स्थिति आगे चल कर झुर्रियां बन जाती हैं और हमें अंदाजा भी नहीं मिलता कि इसका कारण हीटर हो सकता है।

 हीटर की हवा त्वचा की क्वालिटी खराब करके र्सोंलग टिशूज को खराब कर देती है। ये टिशूज त्वचा के अंदर होते हैं और जिनके खराब होने से पिगमेंटेशन की दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

पानी का कटोरा आएगा काम

चूंकि हीटर से कमरे की नमी खत्म होती है, इसलिए जरूरी है कि नमी बनाए रखने के इंतजाम कर लिए जाएं। इसके लिए पहले तो कमरे को पूरी तरह से ब्लॉक न करें। उसमें से हवा निकलने की जगह हमेशा बनी रहनी चाहिए। इससे कमरे में ऑक्सिजन की कमी नहीं होने पाती। इसके अलावा कमरे में पानी से भरा एक कटोरा भी रखा जा सकता है। इससे भी कमरे की नमी कम नहीं होती।  

नमी सोखने का असर आंखों पर
रूम हीटर हमारे शरीर से सर्दी को तो दूर रखते हैं, पर इस काम को करने के लिए वातवरण से नमी भी सोख लेते हैं। इससे आंखों पर असर होता है। आंखों में खुजली तो होती ही है, कई बार ये लाल हो जाती हैं। समय पर ध्यान न दिया जाये तो इनमें संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।

कितना बड़ा कमरा, कौन सा हीटर

रूम हीटर से जितनी वॉट निकलती है, वो कितने एरिया को कवर करेगी, ये भी जानने वाली बात है। क्योंकि हम ज्यादातर एक हीटर से कितना भी बड़ा कमरा हो, गरम करने की कोशिशों में रहते हैं, जबकि इसको समझने का एक अपना फॉर्मूला है। इसके लिए हीटर की वॉट को 10 से डिवाइड करके जो नंबर आता है, उसको हीटर से प्रभावित कमरे का स्क्वायर फीट माना जाना चाहिए। जैसे हीटर 2000 वॉट का है तो 10 से डिवाइड करने पर 200 आएगा। ये 200 स्क्वायर फीट कमरे का वो एरिया होगा, जिसमें हीटर की गर्माहट अच्छे से फैलेगी।  

ऑयल हीटर हैं बेस्ट
कमरा गरम करना हो और स्वास्थ्य को भी हानि न पहुंचे तो ऑयल हीटर का चुनाव सबसे अच्छा रहता है। इसकी वजह यह है कि ये औरों की तुलना में वातावरण से कम ऑक्सिजन लेते हैं। और इसी वजह से इस हीटर से कार्बन मोनोऑक्साइड का संचार भी कम होता है। हीटर के इस्तेमाल में बस यही गैस सबसे घातक होती है। जब इसी से छुटकारा मिल जाएगा तो हीटर के इस्तेमाल में कोई दिक्कत नहीं होगी। 

(डॉ. विशाल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर से बातचीत पर आधारित )






                 साभार हिंदुस्तान.कॉम

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