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Showing posts from June, 2020

World Yoga Day 2020 : " करें योग रहें निरोग", देखें योग दिवस पर मॉडर्न तकनीक

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योग भारत की प्राचीन विरासत है। जिसके माध्यम से ऋषि मुनि स्वस्थ रहा करते थे। धीरे-धीरे इसे आम जनमानस ने अपनाना शुरू कर दिया।  लेकिन ऋषियों द्वारा किया जाने वाला योग का ये स्वरुप अत्यंत कठिन होता था। जिसकी वजह से सामान्य मनुष्य के लिए उसे कर पाना काफी मुश्किल भरा था।  ऐसे में योग की नई मुद्राओं और आसन की खोज की गई। जिसे सभी जन आसानी से कर स्वस्थ शरीर पा सकें। बात करें योग के प्रकारों की तो इसके बहुत सारे प्रकार बताए गए हैं। जैसे कृपालु योग, इष्ट योग.कुंडलिनी योग, आनंद योग, शिवानंद योग, स्वरूप योग, विनियोग लेकिन हम आपको इन योग के सबसे प्रचलित योग के बारे में बताएंगे। अष्टांग योग : अष्टांग योग को राजयोग भी कहा जाता है। मूलत: यहीं योग सबसे ज्यादा प्रचलित है। महर्षि पतंजलि के बताए योग अष्टांग योग ही होते हैं। इस योग के आठ अंग है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि।  इन आठों अंगों के अपने उप अंग भी  हैं। लेकिन ज्यादातर आम लोग इसके तीन अंगों को करते हैं। आसन, प्राणायाम और ध्यान। हठ योग: 'हठ' शब्द का प्रयोग जिद या जबरदस्ती के लिए किया जाता है।

ऐसे पता करें अपनी मजबूत इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता

कोरोना संक्रमण काल में शरीर के जिस सिस्टम या तंत्र पर लोगों का सबसे ज्यादा ध्यान गया है, वह है हमारा इम्यून सिस्टम यानी हमारी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता।  हमारी इम्यूनिटी ही है, जो हमें बीमारियों से बचाती है। यह बैक्टीरिया, वायरस, फंगस जैसे टॉक्सिन्स से लड़ती है और हमारे शरीर को बीमार होने से बचाती है।  हमारी इम्यूनिटी मजबूत हो तो सर्दी, खांसी जैसे वायरल संक्रमण हमसे कोसों दूर रहते हैं।  मजबूत इम्यूनिटी के कारण ही फेफड़े, किडनी और लीवर के संक्रमण, हेपेटाइटिस और अन्य गंभीर बीमारियों से भी बचाव होता है।  कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर शुरू से कहा जा रहा है कि जिसकी इम्यूनिटी कमजोर होगी, उसे संक्रमण का ज्यादा खतरा है। इसी के चलते तमाम डॉक्टर, विशेषज्ञ और स्वास्थ्य एजेंसियां इम्यूनिटी मजबूत बनाए रखने की सलाह दे रही हैं। दरअसल, हमारे आसपास कई तरह के संक्रामक तत्व या पैथोजंस होते हैं। हमें अंदाजा नहीं होता और हम खाने-पीने की चीजों के साथ उसे ग्रहण कर लेते हैं। प्रदूषण भरे वातावरण में तो सांस लेने के साथ ही हम नुकसानदेह तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। हालांकि ऐसा होने के बाद भी अ

क्या आपके मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द है? करें योगासन जो छुटकारा दिलाएं जोड़ों में दर्द से

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आज के दौर में डेस्क जॉब और हर काम के लिए आरामदायक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना आम बात हो गया है।  ऐसे में मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द भी एक तरह से आम बात ही हो गया है क्योंकि शारीरिक गतिविधियों के बिना शरीर लचीला और फुर्तीला नहीं हो सकता है।  हालांकि, जोड़ों में दर्द की और वजह भी हो सकती है। वो अलग बात है कि दवाओं के उपयोग से इस दर्द से कुछ समय के लिए लाभ मिलता है लेकिन इसका प्राकृतिक उपचार योग में भी उपलब्ध है। योगा के कुछ आसनों का अभ्यास करने से दर्द जल्द लाभ मिलता है। तो आइए जानते हैं इन खास योगासनों के बारे में...   समतल जगह पर करें प्राणायाम: प्राणायाम करने के लिए किसी समतल जगह पर चटाई बिछाकर पालथी मारकर बैठ जाएं। अब बाएं नाक को दबाकर दाहिने नाक से सांस को अंदर करके दोनों नाकों से सांस को बाहर निकालें।  जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को प्राणायम करने से बहुत ही राहत मिलती है।  सुबह-सुबह साधारण प्राणायम करने से यह समस्या धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।   रोजाना करें सेतुबंधासन: सेतुबंधासन के अभ्यास के लिए पीठ के बल लेट जाएं और अपने हाथों को शरीर के बगल में रखें।  अब

गर्मियों में रोज पियें मिट्टी के घड़े का पानी, रहें स्वस्थ और बचें अनेक बीमारियों से

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इस समय लगातार गर्मी बढ़ते जा रही है। ऐसे में गर्मी से राहत पाने के लिए लोग फ्रिज में रखे हुए पानी का सेवन करते हैं। गर्मी के दिनों में फ्रिज के पानी से बेहतर है कि मिट्टी के घड़े में रखे हुए पानी का सेवन किया जाए।  वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि मिट्टी के घड़े का पानी फ्रिज की पानी की अपेक्षा अधिक फायदेमंद होता है। पहले से जब फ्रिज नहीं हुआ करते थे तब मिट्टी के घड़ों में ही पानी रखा जाता था। आइए जानते हैं मिट्टी के घड़े का पानी का सेवन करने के फायदे..... मेटाबॅालिज्म को बूस्ट करने का काम करे घड़े का पानी : मिट्टी के घड़े का पानी मेटाबॅालिज्म को बूस्ट करता है। मिट्टी के घड़े में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी होते हैं। Make Easy & Extra $ 450 / Mo For Free? Join a few amazing platforms कब्ज, एसिडिटी, पेट में ऐंठन जैसी पेट संबंधित समस्याएं दूर करे: मिट्टी के घड़े का पानी पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का काम करता है। कई शोधों में इस बात का दावा किया गया है कि मिट्टी के बर्तन में रखे हुए पानी का सेवन करने से कब्ज, एसिडिटी, पेट में

विश्व साइकिल दिवस 3 जून : सर्व सुलभ और गरीबों की भरोसेमंद साइकिल चलायें और सेहत बनायें

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साइकिल का हमारा जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। आज 3 जून है और 2018 से हर साल इस दिन को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये साइकिल ही है जो एक गरीब के पास भी होती है और अमीर के पास भी। आज साइकिल डे पर हम आपको बताएंगे साइकिल से होने वाले फायदों के बारे में।  सबसे पहले साइकिल:  बच्चा जब धीरे-धीरे बड़ा होता है तो उसे सबसे पहले साइकिल चलाना ही सिखाया जाता है।  साइकिल से ही गाड़ी सीखने की शुरुआत होती है। गरीबों की भरोसेमंद साइकिल गाड़ी:  साइकिल सबसे सस्ता साधन है।  जहां आपको दूसरा गाड़ियों में तेल के लिए पैसे खर्च करने होंगे।  वहाँ आपको साइकिल में ऐसा कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है।  स्वास्थ्य के साथ-साथ साइकिल आपके पैसे बचाने का काम भी करता है। सर्व सुलभ साधन साइकिल: साइकिल एक ऐसा वाहन है जिसकी पहुंच समाज के हर वर्ग तक है। बड़ी-बड़ी गाड़ियां सिर्फ कुछ लोगों के पास होती हैं परंतु साइकिल एक ऐसी चीज है जो गरीब से लेकर अमीर के पास भी होती है। इसका इस्तेमाल गरीब भी करता है और अमीर भी। वातावरण के लिए फायदेमंद है:  साइकिल का उपयोग करने से प्रदूषण नहीं होता है।  बहुत

कब्ज, गैस समेत पेट की हर समस्याओं के लिए करें योगा, जानें खास योगासन और उनका अभ्यास

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हमारे खानपान का सीधा असर हमारे सेहत पर पड़ता है। खानपान में अनियमितता और खराब जीवनशैली के कारण आज के समय में लगभग हर तीसरे व्यक्ति को पेट से जुड़ी कोई न कोई समस्या जरूर है। क्रिया-कलाप के अभाव और खराब खानपान के वजह से ही बच्चों में पेट के कीड़े और खराब पाचन शक्ति की समस्या देखने को मिलती है।  पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आप अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखते हुए कुछ योगासन का अभ्यास कर सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ खास योगासनों के बारे में बताएंगे, जिनके नियमित अभ्यास से पेट से जुड़ी हर समस्या दूर हो जाएगी। कपालभाति प्राणायाम: कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें। अपनी हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर शरीर को एकदम सीधा रखें। अब अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को फुलाएं। इसके बाद झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खिंचे। जैसे ही आप अपने पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है।  इस प्राणाया